सोनावती कॉलेज ऑफ एजुकेशन के प्राचार्य गिरफ्तार - छात्रों से वसूली और उत्पीड़न का सच...


**सोनावती कॉलेज ऑफ एजुकेशन, मोहनपुर** के इस चौंकाने वाले प्रकरण ने न केवल छात्रों की उम्मीदों को तोड़ा है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की सच्चाई को भी उजागर कर दिया है। जिस कॉलेज को छात्रों के भविष्य को आकार देने का दायित्व दिया गया था, वहां छात्रों का मानसिक, आर्थिक और भावनात्मक शोषण किया जा रहा था।


**यह सब कैसे शुरू हुआ?**


यह सब तब सामने आया जब छात्रों ने कॉलेज प्रशासन के खिलाफ आवाज़ उठाई। कई छात्रों ने बताया कि उनसे अलग-अलग नामों पर अवैध पैसे मांगे जा रहे थे। कोई भी स्पष्ट जवाब नहीं देता था कि पैसे किस बात के लिए लिए जा रहे हैं। जब छात्रों ने विरोध किया, तो उन्हें धमकाया गया, मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया, और यहां तक कहा गया कि "खुदकुशी कर लो या ज़मीन बेचो, लेकिन पैसे लाओ।"


ऐसे माहौल में कोई भी छात्र शिक्षा पर ध्यान नहीं दे सकता। डॉ. पवन कुमार, जो खुद इस कॉलेज के प्राचार्य हैं, का व्यवहार न केवल गैरजिम्मेदार था बल्कि आपराधिक भी था। जो छात्र फीस नहीं दे पा रहे थे, उन्हें परीक्षा फॉर्म तक भरने की अनुमति नहीं दी गई।


**मेरी खुद की आपबीती:**


मैं , इस कॉलेज का एक छात्र, खुद इन घटनाओं का शिकार रहा हूं। मैंने कॉलेज में एडमिशन लेने के बाद समय पर 75,000 रुपये की फीस, ड्रेस चार्ज, टूर और असाइनमेंट चार्ज तक जमा किए। लेकिन इसके बावजूद मुझसे और 10,000 रुपये नॉन-अटेंडेंस और 10,000 रुपये परीक्षा फॉर्म भरने के नाम पर मांगे गए। जब मैंने विरोध किया तो मुझे फॉर्म भरने से रोक दिया गया। मैंने कई बार कॉलेज से संपर्क किया, फोन कॉल्स किए, लेकिन मेरी कोई सुनवाई नहीं हुई।


मैंने जिला शिक्षा पदाधिकारी और अन्य अधिकारियों से शिकायत की। मेरी आवाज़ दबाने की कोशिश की गई, मुझसे झूठा वीडियो बनवाने की कोशिश की गई ताकि मैं मीडिया में कुछ और कहूं। लेकिन मैंने सच्चाई का साथ नहीं छोड़ा।


**प्रशासन की भूमिका:**


जब छात्रों ने मीडिया का सहारा लिया और अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा, तब पटोरी एसडीएम विकास पांडे और जिला शिक्षा पदाधिकारी कमलेश्वर गुप्ता ने कॉलेज का दौरा किया। जांच के बाद यह पाया गया कि छात्रों से अवैध रूप से वसूली की गई थी और उनका शोषण किया गया था। इसके बाद कॉलेज के प्राचार्य को गिरफ्तार कर लिया गया।


जांच अधिकारियों ने कहा कि अगर कॉलेज प्रशासन का कोई और भी व्यक्ति इसमें शामिल पाया गया, तो उसके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


**मीडिया की भूमिका:**


हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण जैसे बड़े अखबारों ने इस खबर को प्रमुखता से कवर किया है। यह दिखाता है कि मीडिया आज भी आम छात्रों की आवाज़ बन सकती है, बशर्ते हम डरें नहीं, और सामने आएं।


**निष्कर्ष:**


इस पूरी घटना से यह बात साफ हो जाती है कि अगर छात्र संगठित होकर अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं, तो किसी भी भ्रष्टाचार को बेनकाब किया जा सकता है। आज जरूरत है कि हम शिक्षा को एक व्यवसाय नहीं, बल्कि एक सेवा समझें। हमें ऐसे संस्थानों के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होना होगा।


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